डाक टाइम्स न्यूज समाचार ब्यूरो कुशीनगर । उत्तर प्रदेश में सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक , प्रधानाचार्यो के मध्य तदर्थवाद की हीन भावना , सेवा सुरक्षा की आशंका और भविष्य की दिशाहीनता के मध्य अपने शैक्षिक एवं प्रशासनिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन पूरे मनोयोग के साथ नहीं कर पा रहे हैं । उन तदर्थ शिक्षकों , प्रधानाचार्यों के लम्बित प्रकरणों के कारण आये दिन शिक्षा विभाग के कार्यालयों का चक्कर लगाना , कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा आर्थिक प्रताड़ना झेलते हुए भ्रष्टाचार का शिकार हो रहे हैं जिनकी संख्या पूरे प्रदेश में लगभग दो हजार से अधिक नहीं है । उन सभी शिक्षक / प्रधानाचार्यों को जिन्हें अद्यतन राजकीय कोष से भुगतान हो रहा है उनका स्थायीकरण / विनियमितीकरण कर दिये जाने से उनकी सेवा सुरक्षित हो जायेगी और राज्य सरकार पर कोई अतिरिक्त व्यय भार वहन नहीं होगा और प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा से तदर्थवाद समाप्त हो जायेगा जो शिक्षा जगत के लिए स्वर्णाक्षरों में अंकित की जाने जैसी उपलब्धि होगी। समय – समय पर निर्गत शासनादेशों , नियमों , अधिनियमों का कतिपय जनपदों में अनुपालन नहीं किये जाने से कार्यालयों में भ्रष्टाचार और शिक्षक कर्मचारियों का उत्पीड़न हो रहा है । जैसे- प्रधानाचार्य पद पर कार्यरत तदर्थ प्रधानाचार्यो को 30 दिन से अधिक कार्य करने पर प्रधानाचार्य / प्रधानाध्यापक पद का वेतन देने का स्पष्ट प्रावधान होने के बावजूद गोरखपुर जनपद में भेद – भाव करते हुए अधिकांश तदर्थ प्रधानाचार्यो / प्रधानाध्यापकों को • शिक्षा निदेशक माध्यमिक उ ० प्र ० से मार्गदर्शन प्राप्त होने की बात कहकर अधिकांश तदर्थ प्रधानाचार्यो / प्रधानाध्यापकों को वेतनमान नहीं दिया जा रहा है । जिसमें से अधिकांश सेवानिवृत्त हो चुके या होने वाले हैं । जबकि प्रदेश के अधिकांश जनपदों में प्रावधानिक प्रावधान के अनुसार वेतनमान दे दिया गया है । शासन की लोकप्रिय योजना सभी माध्यमिक विद्यालयों का संस्थागत बेवसाइट एवं छात्रों की ई – मेल आईडी बनाये जाने का जो निर्देश प्राप्त हुआ है वह ग्रीष्मावकाश में विद्यालय बन्द हो जाने के कारण विद्यालय में विद्यार्थियों की अनुपलब्धता से निर्धारित की गयी तिथि को जुलाई माह तक बढ़ाये जाने का निर्देश दिया जाना व्यवहारिक होगा। प्रदेश की प्राथमिक उच्च प्राविधिक एवं टेक्निकल शिक्षण संस्थाएँ सोसाइटी / ट्रस्ट से संचालित होती हैं । माध्यमिक विद्यालयों में अधिकांश प्रबन्धकीय विवाद समिति और प्रशासन योजना दोनों के लागू होने से उत्पन्न हो रही है । इसलिए प्रदेश के सभी माध्यमिक विद्यालयों को समिति / ट्रस्ट से संचालित कराया जाय । प्रशासन योजना को निष्क्रिय किया जाय तथा समिति को ट्रस्ट में परिवर्तित करने की शर्तों को शिथिल किया जाय । वित्त विहिन शिक्षकों के लिए घोषित सेवा शर्त को लागू कराते हुए वित्त विहिन विद्यालयों के संचालनकर्ता प्रबन्धक / प्रधानाचार्य को वास्तविक रूप में पृथक करते हुए उनके शक्तियों और कर्तव्यों का वास्तविक अनुपालन कराया जाय। जूनियर स्तर के अनुदानित वे विद्यालय जो उच्चीकृत होकर इण्टर तक की मान्यता प्राप्त किये हैं उनका वित्तीय और प्रशासनिक नियंत्रण जनपद में एक ही कार्यालय से सम्पादित किया जाय । वर्ष 2005 के बाद नियुक्त कार्यरत एवं वेतनभोगी शिक्षक / कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित कराने की कृपा करें । एतद उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ आपका आभारी रहेगा। इस अवसर पर प्रांतीय संरक्षक रामदीन दूबे, जगदीश पाण्डेय प्रान्तीय महामंत्री प्रान्तीय, संरक्षक राधेश्याम श्रीवास्तव, ओम प्रकाश सिंह प्रान्तीय मंत्री प्रान्तीय कोषाध्यक्ष, आनन्द शंकर उपाध्याय प्रान्तीय मंत्री, एवं प्रवक्ता प्रकाश चन्द्र, दीक्षित प्रदेश -अध्यक्ष गंगेश्वर पाण्डेय प्रान्तीय उपाध्यक्ष
आदि शिक्षक नेता सम्मिलित रहे।

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