डाक टाइम्स न्यूज समाचारपत्र ब्यूरो कुशीनगर ।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव प्रशांत कुमार द्वितीय ने बताया कि आज दिनांक 14.09.2022 को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कुशीनगर के तत्वाधान में अशोक कुमार सिंह, जिला जज/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कुशीनगर के निर्देशन में प्रशान्त कुमार-II, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कुशीनगर के द्वारा हिन्दी दिवस पर ए०डी०आर० भवन, दीवानी न्यायालय कुशीनगर स्थान पडरौना में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उक्त संगोष्ठी में न्यायिक अधिकारी सुनील कुमार यादव, विजय कुमार हिमांशु, श्याम मोहन जायसवाल, अमित कुमार तिवारी, मदन माेहन, रविकान्त यादव, शिव कुमारी, कविता सिंह, मनीष कुमार यादव, करिश्मा जायसवाल व बार के अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार मिश्र, वरिष्ठ अधिवक्ता मिथिलेश कुमार दीक्षित, जितेन्द्र दूबे, अवनीश कुमार दीक्षित, धनन्जय कुमार दीक्षित, शशांक त्रिपाठी, अशोक कुमार दीक्षित, अखिलेश मिश्र, रामाश्रय श्रीवास्तव, आदित्य मिश्र आदि अधिवक्तागण एवं राजकुमार वर्मा लिपिक, प्रदीप कुमार झाॅ, विजय कुमार मिश्र, अमरनाथ यादव, राजन मिश्र, रविन्द्र नाथ व जजशिप के सभी कर्मचारीगण उपस्थित रहे। उक्त संगोष्ठी पर हिन्दी के विकास पर चर्चा की गयी। प्रशान्त कुमार-II, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कुशीनगर के द्वारा अपने संबोधन में बताया गया कि हिन्दी दुनिया की चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। 60 करोड़ से ज्यादा की विश्व आबादी हिन्दी भाषी है। भारत की बात करें तो यहां अनेक भाषाएं बोली और लिखी जाती है, लेकिन हिन्दी का अपना एक विशेष महत्व है। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में हिन्दी का बड़ा याेगदान रहा है। स्वतंत्रता की लड़ार्इ में हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारी एकता थी आैर पूरे देश को एक सूत्र में बांधने में हिन्दी ने निर्णायक भूमिका निभार्इ। स्वतंत्रता के बाद ही हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में चुना गया आैर आज भी हर 10 में से 4 भारतीयों की मातृभाषा हिन्दी है। 1803 प्रेम सागर, हिन्दी भाषा में प्रकाशित पहली पुस्तक, 1826 हिन्दी भाषा का पहला समाचार पत्र-उदन्त मार्तण्ड, 1881 हिन्दी को अपनाने वाला भारत का पहला राज्य बिहार, 1931 हिन्दी भाषा की पहली फिल्म, 1949 जब हिन्दी बनी भारत की अधिकारिक भाषा, 1975 पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन, 1977 संयुक्त राष्ट्र में पहली बार गूंजी हिन्दी आदि का जिक्र करते सभी न्यायिक अधिकारियों को पत्रावलियों में हिन्दी भाषा में निर्णय लिखवाने व हिन्दी भाषा में ही सुनवाई करने हेतु प्रोत्साहित किया गया।

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