डाक टाइम्स न्यूज समाचारपत्र खड्डा/कुशीनगर-दी अखिल भारतीय विश्वकर्मा महासभा के तत्वाधान में भगवान विश्वकर्मा के प्रकट दिवस माघ शुक्ल त्रयोदशी के दिन राजश्री मैरिज हाल में धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक विवेकानन्द पाण्डेय व विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय अध्यक्ष छेदी लाल विश्वकर्मा रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता बांकेलाल विश्वकर्मा तथा संचालन नत्थू विश्वकर्मा ने किया।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि विवेकानन्द पाण्डेय ने कहा कि खड्डा नगर में विश्वकर्मा जी के प्रकट होने का दिन के उपलक्ष में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है इसको विश्वकर्मा के समाज के बहुत कम ही लोग जानते हैं विश्वकर्मा समाज के लोग 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा को ही विश्वकर्मा जयंती के रूप में मनाते आ रहे हैं लेकिन आज क्षेत्रवासियों को यह जानकारी हो रही है कि वेदों में वर्णित भगवान

विश्वकर्मा ने पूरे विश्व में माघ शुक्ल पक्ष के त्रयोदशी के दिन प्रगट होकर सृष्टि की रचयिता किया। इस समाज के अंदर इंजीनियरिंग की विधा जन्म से ही भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद से मिली है जिसमें कर्म की प्रधानता है यह समाज अपने कर्म के बलबूते अपनी पहचान बनाया है इतना ही नहीं आयोजनकर्ता सुदीप कुमार विश्वकर्मा के परिवार से ही वर्ष 2009 में मैं राजनीति में आया और विधायक बनने तक इस परिवार और इस समाज के लोगों ने जो मुझे विधायक बनाया है उसका मैं आभारी हूं और जहां कहीं भी इस समाज को हमारी आवश्यकता महसूस होगी। हम इस समाज के

उत्थान के लिए कार्य करते रहेंगे। उसी क्रम में विश्वकर्मा महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष छेदी लाल विश्वकर्मा ने कहा कि मुझे विश्वकर्मा जी के प्रकट उत्सव के आयोजन को देखकर बड़ी खुशी हो रही है ।इस हाल में दुर्घटना बस संख्या कम हुई है लेकिन विश्वकर्मा समाज के लोग बुद्धिजीवी वर्ग से आते हैं भीड़ तंत्र में आना इनकी फितरत नहीं है। वैसे भी नगर में एक दुखद घटना घटित होने का समाचार मिला है जिसमें समाज के आधे से ज्यादा लोग चले गए हैं । फिर भी विश्वकर्मा समाज का यह कार्यक्रम सफल है आने वाले समय में सुदीप कुमार शर्मा जैसे इस क्षेत्र के युवा वर्ग अनेक कार्यक्रम आयोजित करेंगे। जिस दिन हमारा समाज संगठित होकर अपनी ताकत का एहसास कराएगा उस दिन मुझे बड़ी खुशी होगी। कार्यक्रम के आयोजक सुदीप विश्वकर्मा एवं दुर्गेश वर्मा ने कहा कि वेद शास्त्रों में देवताओं के आचार्य शिल्पी के रूप में विख्यात भगवान विश्वकर्मा माघ शुक्ल पक्ष के तेरहवें दिन अर्थात माघ शुक्ल त्रयोदशी के दिन प्रकट हुए थे। जिसके कारण इस दिन विश्वकर्मा का प्रकट दिवस के रूप में यज्ञ हवन पूजन के साथ करने का विधान हमारे मनीषियों ने बताया है। कुछ विद्वानों की मान्यता यह भी है कि इसी दिन राजा पृथु को भगवान विश्वकर्मा ने स्वप्न में आकर दर्शन दिए थे। जिस कारण उनका प्रकट दिवस उत्सव के रूप में मनाया जाता है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से बांकेलाल विश्वकर्मा, चंदन विश्वकर्मा, नीरज विश्वकर्मा, प्रदीप शर्मा, नत्थू शर्मा, ज्ञानेंद्र विश्वकर्मा, भुवनेश विश्वकर्मा, निखिलेश विश्वकर्मा, रवींद्रनाथ विश्वकर्मा, बांकेलाल शर्मा, सूरज वर्मा, दरबारी विश्वकर्मा, चंद्रभान विश्वकर्मा, गुड्डू लाल विश्वकर्मा सहित सैकड़ों विश्वकर्मा वंशज मौजूद रहे।

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